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शनिवार, 1 अक्तूबर 2022

चौबीस साल पहले बना गाना आज भी बनाता है दीवाना


आज घर की सफाई में कुछ पुरानी ऑडियो कैसेटों का थैला मिला अम्मा ने कहा 'फेंक दे ये कचरा 

सुन कर एक बार तो दिल धड़क उठा लेकिन हां ये तो अब कचरा ही है.. फेंक ही देना चाहिए..
दुनिया का पहला ऑडियो कैसेट 1963 में बना शायद बर्लिन में और अब तक दुनिया भर में करीब 100 बिलियन कैसेट यानि 10 हजार करोड़ ऑडियो कैसेट की बिक्री हो चुकी है।

बचपन में मेरे घर में बड़े भईया ने एक शानदार साउंड सिस्टम लगा रखा था हमको उस डेक को छूने की अनुमति नहीं थी लेकिन भईया के बाहर जाने पर मौका नहीं चूकते थे। पैसे जमा करके मैंने भी कैसेटों का संग्रह बनाया था। कुल्फी वाले के ठेले से या चित्रहार से सुने गानों कि कैसेट खोजने मैं जाता था गोल बाजार के मेकल रेडियो ये हमारे यहां की बड़ी कैसेट दुकान हुआ करती थी तीस पैंतीस रुपए की कैसेट हर बार तो नही ले पाता था लेकिन सुने गानों के कैसेट का कवर देख कर भी परम आनंद मिलता था। मेकल रेडियो वाले राजू भैया शायद इस आनंद को समझते थे इसलिए सहज ही हर नई आई कैसेट दिखा दिया करते थे। 

आज की सफाई में देवी अर्चना माई जसगीत का कवर मिला तो याद आया वो ऐतिहासिक जस गीत जो कई दशकों से हमारे दिलों पर राज कर रहा है, आमा पान के पतरी करेला पान के दौना वो झुपत झुपत आबे दाई मोर अंगना वो छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री का वो जस गीत जिसने पूरे देश में छालीवुड की पहचान बनाई और आज भी हर नवरात्र इस जस के बिना अधूरा है।
कैसेट के कवर को बारीकी से देखने पर 1998 का साल छपा दिखाई देता है मतलब ये गाना तभी बना होगा आज चौबीस साल बीत गए लेकिन इस जस की लोकप्रियता जस की तस है। इस जस के गायक दिलीप षड़ंगी गीतकार अमित प्रधान छत्तीसगढ़ फिल्म उद्योग का बड़ा नाम है लेकिन इस लोकप्रियता के पीछे की कमर तोड़ मेहनत किसी किसी को ही अनुभव होगी।
मुझे याद है राजू भैया की दुकान में यामाहा इंटाइजर में एक भाई साहब रायगढ़ से डोंगरगढ़ कैसेट छोड़ने आते थे, मैंने उनसे कहा भैया इतनी दूर से बाइक पर अकेले पेटियां बांधे आते हो थकते नही हो क्या? उन्होंने जवाब दिया थकूंगा तो कैसेट काउंटर तक पहुंचेगी कैसे ?अभी तो शाम तक दंतेवाड़ा पहुंचना है।
देवी अर्चना माई जसगीत कैसेट की उस समय बड़ी डिमांड चल रही थी हर देवी स्थान पर आमा पान के पतरी ही सुनाई देता था । उसी कैसेट की सप्लाई में भाई साहब रायगढ़ से चले थे।
भाई साहब के जाने के बाद मैंने राजू भैया से कहा भैया कैसे गायक गीतकार हैं बेचारे आदमी को रायगढ़ से पेटियां बांध कर बाइक पर भेज दिए है।इस पर  राजू भैया की मंद मुस्कान वाले शब्द आज भी यथावत आत्मा के केंद्र में स्थित है उन्होंने कहा अरे गधा यही तो गीतकार था जो कैसेट लेकर आया था, कवर में फोटो देख यही अमित प्रधान था ।
मैं आज तक इस घटना से स्तब्ध हु एक गीतकार संगीतकार अपनी कैसेट को बेचने हजारों किलोमीटर मोटरसाइकल चला कर खुद पोस्टर चिपकाते घूम रहा है।
आज आमा पान के पतरी की लगभग बीस लाख कैसेट बिक चुकीं हैं। सीडी का हिसाब नही है।
उस इंटाईजर पर सप्लाई हुई कैसेट की पेटियां आज चौबीस सालो से छत्तीसगढ़ के जन जन के मन में राज कर रही है।

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