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शनिवार, 31 मार्च 2012

फिल्म “राम बनाही जोड़ी ”


भाई अमित प्रधान “दलित साहित्य अकेडमी” की ओर से “डा.अंबेडकर समता अवार्ड ” लेते हुये

पोस्टर राम बनही जोड़ी

फिल्म “राम बनाही जोड़ी ”के पोस्टर विमोचन पर मैं ,फिल्म के PRO विनोद जी और प्रसिद्ध साहित्यकार एवं फोटोग्राफर श्री हेमंत खूटे जी
मित्रो फिल्म “राम बनाही जोड़ी” की शूटिंग पूर्ण हो चुकी है। इस फिल्म का निर्देशन मेरे बड़े भाई एवं मेरे गुरु श्री अमित प्रधान जी ने किया है । इस फिल्म मे मैंने अमित जी को सहायक के रूप मे सहयोग देने के साथ अभिनय भी किया है , आशा है यह फिल्म आपको पसंद आएगी। इस फिल्म के निर्देशक भाई अमित प्रधान 36गढ़ फिल्म इंडस्ट्रीज के बड़े ही प्रसिद्ध संगीतकार हैं,जिनका एक जस गीत “आमा पान के पतरी” आज लगभग दस वर्षो से कनाडा के हर दशहरा उत्सव बजाया जा रहा है यह 36गढ़ का पहला गीत है जो विदेश मे बजाया जाता है।अभी हाल ही मे प्रधान जी को 36गढ़ दलित साहित्य अकेडमी की ओर से डॉ.अंबेडकर समता अवार्ड से नवाजा गया है । फिल्म “राम बनाही जोड़ी” की खास बात यह है की इस फिल्म का मुख्य अभिनेता एक दो फिट का युवक है मतलब यह भारत की पहली फिल्म होगी जिसमे एक बऊना भाई हीरो है।एक फिल्म कमल हसन साहब ने भी नाटे हीरो को लेकर बनाई थी पर उन्होने उस फिल्म मे नाटे होने का अभिनय किया था वे नाटे थे नहीं । बहरहाल फिल्म राम बनाही जोड़ी बनकर तैयार है कड़ी धूप और कड़ाके की ठंढ मे की गई मेहनत आपको फिल्म की जबर्दस्त सिनेमेटोग्राफी,जोरदार कहानी,जानदार संगीत और उमदा अभिनय के रूप मे देखने को मिलेगी । फिल्म के D O P भाई संतोष सिन्हा जी हैं ।संतोष जी ने फिल्म ट्रेनिग इन्सिट्यूट पुणे से सिनेमेटोग्राफी की परिक्छा फस्ट क्लास मे पास की है और इनके अपने काम के प्रति समर्पण को देख कर सभी इनकी प्रशंसा करते थकते नहीं हैं । फिल्म का संगीत अमित प्रधान का है । मुख्य अभिनेता दूज पटेल जी है अभिनेत्री रीमा सिंग जी है और फिल्म मे खलनायक की भूमिका भाई संतोष सारथी जी ने निभाई है ।                   

केंद्रीय विद्यालय मे एडमिशन


मित्रो आज सुबह सुबह जब मैं अपनी खटिया से उतर कर गरम चाय की अभिलाशा को मन मे लिए कमरे से बाहर निकाला तो हमारे आदरणीय तिवारी चाचा पहले ही मेरे घर पर गरम चाय की चुसकीया लेते बैठे थे , इस से पहले की मैं अपने मन की बात कह पता उससे पहले ही चाचा जी फुट पड़े “अरे ई तो है,इहि के भेज द जाई के फारम ले आई ,भर के कल जमा करवा दीहा अगर बच्ची के किस्मत मे ऊंची पढ़ाई होई त  एडमिशन होई जाई बाकी जय राम जी की ”। अब क्या माँ ने आव देखा ना ताव हुकुम जड़ दिया बोली बेटा केंद्रीय विद्यालय जा अपनी भतीजी के लिए एक  एडमिशन फार्म ले आ और हाँ देखना अगर कोई पहचान निकल जाए तो सिफ़ारिश की बात कर लेना । मैं चाय की इक्छा को मन मे ही दफनाके जी अम्मा बोल कर बाहर निकाल गया । कुछ भी हो यार माँ के आदेश और चाचा के बोल से जोशिया के मैं फार्म लेने निकल तो गया पर बिना चाय के ? खैर, मैंने सोचा अब फार्म तो जाके लेना ही है तो क्यू ना पहेले एक प्याला चाय हो जाए ।बस फीर क्या मैं अपने परमानेंट फाइव स्टार चाय ठेले मे पहुच गया वहाँ मेरे परम मित्र भाई प्रमोद जी भी मिल गए ,चाय पीते पीते मैंने प्रमोद जी को सारी कहानी सुना दी । बस फिर क्या प्रमोद जी भी आजकल एक समाचार पत्र से जुड़ गए हैं अखबार का आई कार्ड हमेशा उनकी छाती पर झूलता रहता है , अपने आई कार्ड को ठीक करते हुए उन्होने अपनी फटफटी स्टार्ट की और बोले चलो देखते हैं कैसे एडमिशन नहीं होता है । मैं भी उनकी गाड़ी मे लपक कर पहुच गया केंद्रीय विद्यालय । आsहाsहाs कितना सुंदर स्कूल है यार मानो कोई शानदार होटल का गार्डन हो , हम दोनों मित्र तो स्कूल के गार्डन मे ही पहुच के ठंडे पड गए पूरी पत्रकारिता की गर्मी मानो लद्दाख की पहाड़ियो मे पहुच गई । जैसे तैसे पूछ पूछा के हम उस खिड़की तक पहुचे जहां फार्म वितरित किया जाता है ,लंबी लाइन लगी हुई है,पर खिड़की तो बंद है,खिड़की 10 बजे खुलने वाली है। हमने लंबी लाइन मे खड़े सभी व्यक्तियों पर आंखे दौड़ना शुरू किया की शायद कोई पहचान का दिख जाए ?कुछ देर इधर उधर देख कर प्रमोद जी बोले “यार यहाँ तो भारी भीड़ है,शहर के सारे वीआईपी यहीं लाइन लगाए खड़े” मैंने हाँ मे सर हिलाया ही था की प्रमोद जी फिर फूटे “अरे वो देख वो एक दो तीन वो जो सत्रहवे नंबर पे खड़ा है ना वो मेरा दोस्त है” झटपट हम दोनों मुह उठा के चल दिये उस व्यक्तिके पास। उसके पास पहुच कर प्रमोद जी ने दुवा सलाम कर के एक फार्म एक्सट्रा लेने की सहमति लेली और उन पर अपने एक सवाल का बाण दे मारा “यार संजय तुम तो लखपति आदमी हो फिर क्यू इस सरकारी स्कूल मे लाइन लगाए खड़े हो ,किसी प्राइवेट स्कूल मे डाल देते बच्चे को” संजय जी के जवाब ने मेरी केन्द्रीय विद्यालय मे  एडमिशन पाने की चाह को जिद मे बदल दिया उन्होने कहा “अरे भाई प्रमोद हमारे शहर मे अच्छा स्कूल है कहाँ? और वैसे भी बच्चे को महंगे स्कूल की पढ़ाई यहाँ बहुत कम पैसे मे मिल जाएगी” तो क्या यहाँ एडमिशन हो जाएगा ? मैंने भी अपने मन की पिचकारी निकाल ही दी । “हाँ हाँ क्यू नहीं मैंने मंत्री जी से शिफारिस का लेटर लिखवाया है”संजय जी तपाक से बोले। तभी प्रमोद ने कहा “चलो अमित हम जरा एक राउंड लगा के आते है ”मैं प्रमोद के पीछे हो ली आ। प्रमोद उस लाइन से कुछ दूर आकर “यार तुम किसी मंत्री को जानते हो क्या” मैंने कहा “नहीं यार मंत्री तो हमेशा मुझसे दूरी बनाए रखते हैं ” “तब तो बच्ची का एडमिशन मुश्किल है यार ”प्रमोद ने कहा । थोड़ी देर वहीं खडे रहने के बाद मुझे दूर स्टूल पर जुगाली करता एक व्यक्ति दिखाई दिया । मैंने सोचा हर कार्यालय मे सारे घोटालो की शुरुवात चपरासी से ही होती है तो क्यू ना एक बार इसी से बात की जाए । खयाल आते ही मैं प्रमोद को लेकर भाई साहब के पास पहुच गया । थोड़ी देर उससे बातचीत करके हमने उसको चाय का नेवता दे डाला, साथ मे चाय की चुसकियाँ लगाते हुए चपरासी भाई ने कहा “देखो भैया यहाँ एडमिशन के लिए आपके परिवार मे से किसी की केन्द्रीय शासन मे नौकरी मे होनि चाहिए नहीं तो एडमिसन मुश्किल है” “अरे यार हमारे यहाँ तो कोई सरकारी नौकरी मे नहीं है , क्या और कोई जुगाड़ नहीं है थोड़ा दे देके ?” मैंने थोड़ी चापलूसी दिखते हुए कहा । उसने जबाब दिया “है ना आप किसी केन्द्रीय मंत्री को तो जानते होंगे ना,बस उनसे सिफारिस की चिट्ठी लिखा लो फिर तुरंत आपके बच्चे का एडमिसन हो जाएगा ”। उसका जवाब सुनकर मैं प्रमोद की ओर देखा तभी वहाँ संजय जी आ गए उन्होने हमे एक फार्म दिया और चले गए ।फार्म लेकर मैं भी घर आ गया । कुछ दिन एक दो केन्द्रीय मंत्रियो के दरवाजे खटखटाने बाद अम्मा की खुशी के लिए फार्म भरकर जमा तो किया पर मुझे पहले ही पता था की केन्द्रीय विद्यालय मे हमारी बच्ची का एडमिशन नहीं होगा और अनततः वही हुआ ….
अब आप ही बताए की की कब एक आम आदमी अपने बच्चो को केन्द्रीय विद्यालय मे पढ़ा पाएगा ? कब ये मंत्री किसी आम आदमी के लिए सिफारिस करेंगे ?                                  
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